घर-घर सर्वे कर स्कूली छात्रों का पता लगाएंगे शिक्षक

रीवा | कोरोना काल के चलते स्कूल शिक्षा सर्वाधिक प्रभावित हुई है। ऐसे में हजारों छात्र शिक्षा की मुख्य धारा से अलग हो गए हैं। महामारी के दौरान बच्चों की पढ़ाई सबसे ज्यादा बाधित रही है। इसके अलावा स्कूल की गतिविधियां भी प्रभावित रहीं। इन सबके बीच शासन द्वारा यह निर्देश जारी किया गया है कि शिक्षक ऐसे बच्चों का पता लगाएं जो स्कूल नहीं जा पाए हैं। इसके लिए घर-घर सर्वेक्षण कर बच्चों का पता लगाना है। शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने यह निर्देशित किया है कि कोरोना महामारी के प्रभाव को कम करने के प्रयास के तहत शिक्षक घर-घर जाकर सर्वेक्षण कर और बच्चों का स्कूलों में पंजीयन कराएं।

शुरू होगा ब्रिज कोर्स
कोरोना काल के चलते जिन बच्चों की पढ़ाई छूट गई है, उन्हें वापस से शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए ब्रिज कोर्स शुरू किया जाएगा और स्कूल में ऐसा वातावरण रखने के निर्देश दिए हैं ताकि यहां पढ़ने आने वाले बच्चों को तनाव महसूस न हो। इसके अलावा बच्चों की समझ बढ़ाने के लिए पाठ्यक्रम से अलग पुस्तकें पढ़ाने और रचनात्मक लेखन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कहा है। 

18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किया जाएगा चिन्हित
शासन की ओर से यह निर्देशित किया गया है कि स्कूल के प्राचार्य व शिक्षक 6 साल से 18 साल की आयु के उन बच्चों की पहचान करें जो स्कूल से दूर हैं और घर-घर जाकर पता लगाएं। साथ ही पढ़ाई से छूट चुके छात्रों का स्कूलों में दाखिला कराने की कार्य योजना तैयार की जाए। दरअसल शिक्षा मंत्रालय का उद्देश्य यह है कि बच्चे बिना किसी परेशानी के अपनी पढ़ाई जारी रखें।

फेल करने के नियम में लाएं शिथिलता
अधिकारियों को यह निर्देश दिए गए है कि वह इस साल पढ़ाई में फेल होने वाले बच्चों की कॉपी जांचते वक्त शिथिलता लाएं। कोई छात्र अगर सिर्फ चंद नंबरों से फेल हो रहा है और उसके पास होने की थोड़ी सी भी गुंजाइश है तो उसे फेल न किया जाए। जाहिर है कि कोरोना के कारण हजारों छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हुई है खासकर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले बच्चों की जिनके पास आॅनलाइन पढ़ाई करने का बिल्कुल साधन नहीं रहा है। यही वजह है कि इस बार रिजल्ट तैयार करने में शिथिलता लाने के निर्देश दिए गए हैं।