सालों से सरकारी काम कर रहे कर्मचारी पर सेवा पुस्तिका नहीं बनी

रीवा। श्यामशाह मेडिकल कॉलेज के कर्मचारी ही कर्मचारियों के दुश्मन बने बैठे हैं। करीब 50 कर्मचारी ऐसे है, जिनकी सेवा पुस्तिका ही नहीं बनी है। सालों से सेवाएं देने वाले इस लापरवाही के कारण सरकारी सुविधाएं के मोहताज हो गए हैं। ज्ञात हो कि सरकारी कर्मचारी की नियुक्ति के साथ ही सेवा पुस्तिका बनाने का नियम है।

दो सेवा पुस्तिका बनाई जाती है। इसी में पूरे जीवन भर के काम का लेखाजोखा दर्ज होता है। इसी के हिसाब से ही समयमान वेतनमान और एरियर आदि का निर्धारण भी होता है। श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में ऐसा नहीं हो रहा है। कर्मचारियों के साथ यहीं के कर्मचारी दगा कर रहे हैं। करीब 50 रेग्युलर कर्मचारी ऐसे हैं, जिनकी सेवा पुस्तिका ही नहीं बनी है।

सालों से अधिकारी, कर्मचारी सेवाएं तो दे रहे हैं, लेकिन उनके कामों का हिसाब किताब का बहीखाता गायब है। सेवा पुस्तिका नहीं है। इसके कारण अब कर्मचारियों को शासन से मिलने वाली सुविधाओं का फायदा नहीं मिल पा रहा है। इसकी शिकायत भी अधिकारियों से की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। यदि इन कर्मचारियों की मौत हो जाए तो शासन से मिलने वाली सुविधाएं तो मिलेगी नहीं। सरकारी कर्मचारी मानने से भी इंकार कर दिया जाएगा। यह सब संकट लिपिक की लापरवाही से ही मंडरा रहा है। 

डीन ने किया था हेरफेर पर कुर्सी नहीं बदली

श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में हेरफेर किया था। काम में तेजी लाने के लिए लिपिकों की कुर्सियां बदलने के आदेश दे दिए गए थे। 31 दिसंबर तक सभी को कार्यभार सम्हालने के लिए कहा गया था। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। डीन के आदेश के बाद भी लिपिकों ने आदेश पर अमल नहीं किया। अभी भी कर्मचारी पुराने व्यवस्था की ही तरह काम कर रहे हैं। कुछ ने जरूर नया कार्यभार सम्हाल लिया है।

तीन साल से लगा रहे कार्यालय के चक्कर

श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में ही पदस्थ रहे लैब असिस्टेंट एसपी मिश्रा और जगत निवास अवस्थी की मौत हो चुकी है। इनकी मृत्यु के बाद से परिजन लगातार कॉलेज का चक्कर लगा रहे हैं। ग्रेज्युटी और अन्य लाभ अब तक परिजन को नहीं मिल पाए हैं। इसके अलावा कॉलेज से मृत्यु के बाद मिलने वाली ग्रेसिका भी नहीं दी गई है।

लिपिक के खिलाफ ठण्डी पड़ी जांच कार्रवाई

मेडिकल कॉलेज में ही पदस्थ लिपिक विनोद सेन के खिलाफ कई गंभीर शिकायत सामने आई थी। इनके खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए पूर्व कॉलेज डीन ने तीन सदस्यीय टीम गठित कर दी थी। प्रशासकीय अधिकारी मुकेश तिवारी, डॉ प्रियंक शर्मा और डॉ सुधाकर द्विवेदी को जांच की जिम्मेदारी दी थी। जांच ठप है। जांच प्रतिवेदन तक नहीं सौंपा गया।

सेवा पुस्तिका से संबंधित जानकारी नहीं है। कार्यालय पहुंचने पर ही इस मामले में कुछ कह पाऊंगा।
डॉ एपीएस गहरवार, डीन, श्याम शाह मेडिकल कॉलेज रीवा