धर्म/अध्यात्म: मानव जाति के लिए प्रेरक हैं गुरू नानक देव
'सिखों के प्रथम गुरु' गुरु नानक जी की जयंती को 'प्रकाश पर्व' कहा जाता है। आज इस वर्ष गुरु नानक देव जी का 555वां प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है। पाखण्डों के घोर विरोधी रहे गुरु नानक देव की यात्राओं का वास्तविक उद्देश्य लोगों को परमात्मा का ज्ञान कराना और बाह्य आडम्बरों से दूर रखना था। गुरु नानक जयंती के अवसर पर उनके जीवन, आदर्शों तथा उनकी दी हुई शिक्षाओं का स्मरण किया जाता है। इस दिन धर्मगुरु और समाज के सम्माननीय लोग गुरु नानक की शिक्षाओं और संदेशों को दोहराते हैं ताकि लोगों के बीच उनके पवित्र विचारों को फिर से ताजा किया जा सके। सितम्बर 2019 में 550वें प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में नेपाल द्वारा सौ, एक हजार तथा ढाई हजार रुपये के तीन स्मारक सिक्कों का सेट जारी किया था। पाकिस्तान सरकार द्वारा भी गुरुजी के 550वें प्रकाश पर्व पर 50 रुपये का एक सिक्का जारी किया गया था। कोलकाता टकसाल द्वारा 550वें प्रकाशोत्सव पर 12 नवम्बर 2019 को 44 मिलीमीटर गोलाई वाला 35 ग्राम वजनी 550 रुपये का एक स्मारक सिक्का जारी किया गया था, जिसमें 50 फीसदी चांदी, 40 फीसदी तांबा और पांच-पांच फीसदी निकल व जिंक का मिश्रण है। सिक्के के एक ओर गुरुद्वारा श्री बेर साहिब का चित्र उकेरा गया था और उसी ओर सिक्के पर देवनागरी व अंग्रेजी में 'श्री गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व' लिखा गया था। पाखंडों के घोर विरोधी रहे गुरु नानक की यात्राओं का वास्तविक उद्देश्य लोगों को परमात्मा का ज्ञान कराना किन्तु बाह्य आडम्बरों एवं पाखंडों से दूर रखना ही था। वे सदैव छोटे-बड़े का भेद मिटाने के लिए प्रयासरत रहे और उन्होंने निम्न कुल के समझे जाने वाले लोगों को सदैव उच्च स्थान दिलाने के लिए प्रयास किया।