कॉलेज की लाइब्रेरी में आऊट ऑफ कोर्स पुस्तकें
सतना। जिले के सबसे बड़े सरकारी महाविद्यालय की लाइब्रेरी में पुरानी पुस्तकों का अंबार लगा हुआ है। इन पुस्तकों को रिफरेंस की बहाने रखा गया है। जिसके चलते नई पुस्तकों की आवक भी प्रभावित हो रही है। जानकारी के मुताबिक शासकीय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय की लाइब्रेरी में रखी पुस्तकें एक तो पुरानी हैं ऊपर से आऊट आॅफ कोर्स।
जिसके चलते विद्यार्थियों को अपडेट टॉपिक्स के लिए बाहरी पाठ्य संसाधनों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। बताया गया है कि लाइब्रेरी में इस समय 70 हजार से ज्यादा पुस्तकें हैं इनमें से करीब 20 से 22 हजार आऊट आॅफ कोर्स हो चुकी हैं। जानकार बताते हैं कि स्वशासी कॉलेज प्रबंधन ने इन आऊट आॅफ कोर्स हुई पुस्तकों को रिफरेंस के बहाने से सहेज कर रखा है। हालांकि इस तमाम जानकारी के लिए प्रभारी प्राचार्य को फोन लगाया गया लेकिन उनका मोबाइल व्यस्तता का संदेश सुनाता रहा।
आठ कॉलेजों में लाइब्रेरी नहीं
एक तरफ जहां जिले के सबसे बड़े कॉलेज की लाइब्रेरी में पुरानी पुस्तकों का अंबार लगा हुआ है वहीं दूसरी ओर कई कॉलेजों में लाइब्रेरी तक नहीं है। बताया गया है कि इलेक्शन के समय घोषणों के दम पर खोले गए किसी भी कॉलेज में लाइब्रेरी नहीं है। इस श्रेणी में अमदरा, बदेरा, नादन, ताला, बिरसिंहपुर, उचेहरा, मझगवां में लाइब्रेरी नहीं है। इसी तरह एक पुराने कॉलेज रामनगर में भी पुस्तकालय नहीं बन सका है। हां, यह जरुर है कि कुछ पुस्तकें रखकर पुस्तकालय का नाम दे दिया गया है।
फाउंडेशन के अलावा सब बदला
इस लाइब्रेरी में रखी तमाम विषयों की पुस्तकें कोर्स से बाहर हो चुकी हैं। इनमें कुछ काम की हैं वह फाउंडेशन कोर्स की। जानकार बताते हैं कि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा औसतन हर साल कई विषयों के पाठयक्रम बदले गए हैं जिससे बहुत सारी पुस्तकें आऊट आॅफ कोर्स हो गर्इं। बताते हैं कि संस्कृत, अंग्रेजी, इतिहास और हिन्दी की पुस्तकें इस दायरे में नहीं आती हैं जबकि अन्य विषयों की कुछ टॉपिक्स बदल कर विभागीय स्तर से नई पुस्तकें चलाई जा रही हैं। बताया गया है कि अपडेट के मामले में जियोलॉजी, बायोटेक, कम्प्यूटर और आॅनर्स के विषय आगे है।
गाइडों-ट्वेंटी का सहारा
कॉलेज स्तर की इस बड़ी लाइब्रेरी में अधिकांश पुस्तकें आऊट आॅफ कोर्स है जिसके चलते विद्यार्थियों को गाइडों और ट्वेंटी क्वेश्चन के सहारे अध्ययन करना पड़ रहा है। विद्यार्थियों का मानना है कि विभाग प्राइवेट पब्लिसर्स को फायदा पहुंचाने के लिए हर साल पाठ्यक्रम में बदलाव कर रहा है। जिस साल बदलाव होता है उस साल पुस्तकें उपलब्ध नहीं हो पाती हैं यही कारण है कि उन्ही पब्लिसर्स की ट्वेंटी क्वेश्चन व गाइड का सहारा लेना पड़ता है।