नॉन ने ग्वालियर संभाग को भेजा ढाई लाख क्विंटल चावल
रीवा | नाग्रिक आपूर्ति निगम द्वारा कस्टम मिलिंग के लिए मिलरों को दी गई धान से जो चावल गोदाम में आया है, वह घटिया क्वालिटी का बताया जा रहा है। हालांकि नॉन ने ग्वालियर संभाग को अब तक ढाई लाख क्विंटल चावल भेज चुका है। खास बात यह है कि भेजे गए चावल के बाद अगर शिकायत आती है तो इसकी भरपाई किससे की जाएगी, यह बड़ा प्रश्न बन गया है। ओपेन कैप से मिलिंग के लिए गई धान में सबसे ज्यादा खराबी देखी गई है।
समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान में ज्यादातर ओपेन कैप में रखी गई धान भीग चुकी है। ऐसे में मिलरों ने भी उक्त धान को कस्टम मिलिंग के लिए हाथ खड़े कर दिए थे। गौर करने वाली बात यह है कि नॉन द्वारा 27 मिलरों को जो धान दी है, उसके बाद जो चावल गोदाम में जमा किया गया है वह क्वालिटी में खरा नहीं उतर रहा है। विभाग का मानना है कि ओपेन कैप में रखी धान एवं किसानों के खेत में रखी धान लगातार बारिश होने की वजह से भीग गई थी जिससे निकलने वाला चावल लाल हो गया है।
हालांकि ज्यादातर चावल की क्वालिटी अच्छी बताई गई है फिर भी 25 फीसदी चावल खराब होने की जानकारी सामने आ रही है। शासन से आए निर्देश के बाद नागरिक आपूर्ति निगम ने ग्वालियर संभाग को नौ रैक में ढाई लाख क्विंटल चावल भेजा है। बताया गया है कि शिवपुरी, मुरैना, अशोक नगर, दतिया एवं मालनपुर के लिए रीवा का चावल भेजा गया है। हालांकि अभी भी विभाग के पास 70 हजार क्विंटल चावल पड़ा है। यहां पर यह बता दें कि अभी कुछ दिनों तक मिलिंग का कार्य बंद था, परंतु मंगलवार से यह फिर से शुरू हो गया है।
ऐसे परखते हैं चावल की गुणवत्ता
जानकारों के मुताबिक कस्टम मिलिंग के बाद चावल को गुणवत्ता की कसौटी पर परखे जाने के लिए मैटानिल केमिकल और डिस्टिल वॉटर का उपयोग किया जाता है। इस विधि के तहत हर लॉट में कम से कम दस सेंपल लेकर एक बार में चावल के सौ दाने मैटालिन अैर डिस्टिल वाटर के घोल में डुबोए जाते हैं। फिर 5 मिनट बाद उक्त घोल से बाहर कर चावल को कुछ देर तक सुखायाजाता है। इस प्रक्रिया के बाद यदि चावल के 12 प्रतिशत से ज्यादा काला-पीला, नीला या लाल रंग होने पर संबंधित लॉट को सीएमआर के तहत हरगिज नहीं लिया जाना चाहिए।
इस साल धान की कस्टम मिलिंग के चावल की गुणवत्ता को नागरिक आपूर्ति निगम के स्टेट हेड आॅफिस ने भी पूरी तरह से भगवान भरोसे छोड़ दिया है। दरअसल पिछले सालों तक धान की कस्टम मिलिंग करने वाले राइस मिलों से लेकर गोदामों में जमा करवाए जाने गुणवत्ता का परीक्षण कम से कम दो स्तरीय अलग-अलग गुण नियंत्रक दलों से सुनिश्चित करवाए जाने के लिए नॉन के द्वारा स्टेट लेवल के अपने क्वालिटी कंट्रोलरों से करवाई जाती थी।
लेकिन इस साल सतना और रीवा जिले में लाखों क्विंटल धान की कस्टम मिलिंग के चावल की करीब एक दशक पहले रिटायर एक उम्रदराज क्वालिटी कंट्रोलर (क्यूसी) के ऊपर नॉन के अन्य शीर्ष तीन माह पहले धान की कस्टम मिलिंग शुरू करवाए जाने के बाद एक दिन भी चावल की गुणवत्ता को देखने के लिए सतना जिले के प्रवास पर नहीं गए।