1 अप्रैल से नए नियम: वार्षिक भाड़ा मूल्य की जगह टैक्सेबल प्रॉपर्टी वैल्यू से तय होगा टैक्स
भोपाल | मध्य प्रदेश में अब प्रॉपर्टी टैक्स संपत्ति के वार्षिक भाड़ा मूल्य (एनुअल लेटिंग वैल्यू) के बजाय कर योग्य संपत्ति मूल्य से तय किया जाएगा। कलेक्टर गाइडलाइन की रेट के आधार पर कर योग्य संपत्ति मूल्य निकाला जाएगा। दरअसल, सरकार ने प्रॉपर्टी टैक्स को कलेक्टर गाइडलाइन से जोड़ दिया है। इसके लिए सरकार ने मप्र नगरपालिक विधि संशोधन विधेयक 2021 को 16 मार्च को विधानसभा से पारित करा लिया है। नए नियम 1 अप्रैल से लागू हो जाएंगे।
नए नियमों के हिसाब से हर निकाय को हर वर्ष कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार एरिया का वर्गीकरण करना होगा। अगले वित्तीय वर्ष से कलेक्टर गाइडलाइन के बढ़ने पर टैक्सेबल प्रॉपर्टी वैल्यू भी बढ़ जाएगी, लेकिन संपत्ति का मूल्य पिछले वर्ष की अपेक्षा 10% से ज्यादा बढ़ता है, तो भी टैक्सेबल प्रॉपर्टी वैल्यू 10% तक ही बढ़ेगी, उससे ज्यादा नहीं। यदि कहीं, कलेक्टर गाइडलाइन कम होती है, तो वहां टैक्सेबल प्रॉपर्टी वैल्यू पिछले वर्ष के समान ही रहगी यानी कम नहीं होगी। निकाय में नए शामिल होने वाले क्षेत्रों के लिए उसके पास के एरिया के हिसाब से कर योग्य संपत्ति मूल्य तय किया जाएगा।
सभी परिक्षेत्रों को समाप्त कर सीधे गाइडलाइन का एक निश्चित प्रतिशत प्रॉपर्टी टैक्स लिया जाएगा। प्रतिशत का निर्धारण नगर निगम परिषद करेगी। यह इसलिए जरूरी है, क्योंकि 13वें वित्त आयोग ने प्रॉपर्टी टैक्स तय करने के लिए निकायों को स्वतंत्र करने की बात कही है। इसके अलावा नगरपालिक निगम अधिनियम में प्रॉपर्टी टैक्स से जुड़े प्रावधानों में भी बदलाव करना होगा।
आय बढ़ाने के लिए बदलाव
नगरीय विकास एवं आवास विभाग के सूत्रों ने बताया कि निकायों की आय बढ़ाने के लिए प्रॉपर्टी टैक्स में बदलाव किया गया है। प्रदेश के सभी निकायों की प्रॉपर्टी टैक्स से सालाना आय करीब 550 करोड़ रुपए है। नए नियम लागू होने से यह आय बढ़कर 600 करोड़ रुपए से ज्यादा होने का अनुमान है।
10 साल बाद बढ़ेगा टैक्स
प्रदेश में प्रॉपर्टी टैक्स 10 साल बाद बढ़ेगा। इससे पहले वर्ष 2011 में नगरीय विकास विभाग ने प्रॉपर्टी टैक्स की नए सिरे से गणना की थी। इसके बाद अब सरकार ने प्रॉपर्टी टैक्स को कलेक्टर गाइडलाइन से जोड़े दिया है। यानी जब कलेक्टर गाइडलाइन बढ़ेगी तो टैक्स भी बढ़ेगा।
गाइडलाइन से लिंक होने के बाद
- कलेक्टर गाइडलाइन में प्लॉट को 4 भागों में बांटा
- रेसिडेंशियल: आरसीसी, आरबीसी, टीनशेड और कच्चा निर्माण।
- कमर्शियल: दुकान, आॅफिस और गोदाम।
- इंडस्ट्रियल : शोरूम और मॉल के साथ प्राइवेट अस्पताल।
- एग्रीकल्चर लैंड : सिंचित, असिंचित, रेसिडेंशियल डायवर्जन व कमर्शियल डायवर्जन।