जिले में 15 हजार से अधिक मानसिक रोगी

रीवा | जिले में मानसिक रोगियों का आकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। प्रतिदिन 3 से 4 नए मरीज सामने आ रहे हैं। जिले में इन मरीजों का आकड़ा करीब 15 हजार तक पहुंच गया है। लगातार बढ़ रही संख्या से चिकित्सक भी हैरान है। वरिष्ठ चिकित्सकों के अनुसार इसके पीछे की मुख्य वजह बेरोजगारी और व्यापार व किसानी में घाटा माना जा रहा है।

संजय गांधी अस्पताल के ओपीडी में दर्ज पिछले कुछ वर्षों के मानसिक रोगियों की संख्या 15 हजार को पार कर गई है। मानसिक रोग विशेषज्ञ का मानना है कि सैकड़ों मरीज अभी भी इलाज से वंचित हैं। ऐसे में अगर इन आंकड़ों पर गौर किया जाए तो यह चौंकाने वाले हैं। बताया गया है कि ऐसे रोगियों का इलाज जब तक अस्पताल में चलता है तब तक ठीक रहते हैं।

या फिर जब तक  रोगी दवाइयां लेते हैं। लेकिन जैसे ही मरीज दवाइयां लेना बंद कर देते हैं मरीजों का मानसिक संतुलन बिगड़ने लगता है। यह तब होता है जब मरीज अपने घर में खाली बैठता है। अगर मानसिक रोगियों को दवा के साथ काम करने के लिए मिलता रहे तो उनका दिमाग काम में व्यस्त रहेगा जिस कारण मानसिक मरीजों का दिमाग इतना जल्दी खराब नहीं होगा या उनकी हालत बिगड़ेगी नहीं। 

काम में लगाए तो काबू में रहती है बीमारी
चिकित्सक का कहना है कि ऐसे मरीज मानसिक दृष्टि से कमजोर तो होते हैं लेकिन शारीरिक दृष्टि से काफी मजबूत रहते हैं। ऐसे में अगर इनसे काम लिया जाए तो सभी काम करने में सक्षम है। जानकारों का कहना है कि अगर इनसे अगर बत्ती, मोमबत्ती, माली का काम, पौधो में पानी डालने का काम इस तरह के कई छोटे मोटे काम हैं जिन्हें इस तरह के लोग करने में सक्षम  हैं। काम सिर्फ  इनको दवा के हिसाब से कराया जाए ताकि ये लोग व्यस्त रहेंगे। जिससे इनकी बीमारी काबू में रहेगी।

प्रतिमाह सामने आते हैं 40 मरीज
संजय गांधी अस्पताल की ओपीडी में में जहां 15 हजार से अधिक मानसिक रोगी रजिस्टर्ड हैं। वहीं प्रति माह 35- 40 मरीज नए आते हैं। इनमें से ज्यादातर को भर्ती करके उपचार करना पड़ता है। जिनकी हालत काफी नाजुक रहती है। ये ऐसे मानसिक रोगी रहते हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती करना अनिवार्य होता है। 

जिले में मानसिक रोगियों का आकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। एसजीएमएच में पिछले कुछ वर्षों में पहुंचे मानसिक रोगियों की संख्या 15 हजार से भी अधिक होगी। हर दिन 4-5 नए मरीज सामने आते हैं। मानसिक रोगियो के लिए काम बेहद जरूरी है। अगर इन्हे काम में व्यस्त करा दें तो उनकी हालत में ज्यादा सुधार आएगा। 
डॉ. प्रदीप कुमार, मानसिक रोग विशेषज्ञ