देरी से विवाह के चलते हिन्दू दंपतियों के कम हो रहे बच्चे

25 साल की उम्र में विवाह आज की जरूरत : परांडे
भोपाल। विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा कि देरी से विवाह और उज्जवल भविष्य की भ्रामक अवधारणाओं के कारण हिन्दू दंपतियों के बच्चे कम हो रहे हैं। 25 वर्ष तक की उम्र में विवाह करना आज की आवश्यकता है।
भोपाल प्रवास पर आए केन्द्रीय संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे ने यह बात आज राजधानी में मीडिया से चर्चा करते हुए कही। उन्होंने कहा कि जनसंख्या असंतुलन हिंदू समाज के अस्तित्व के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। हिंदुओं की घटती हुई जनसंख्या बहुआयामी प्रभाव निर्माण करती है। हिंदू इस देश की पहचान है। अगर हिंदू घटा तो देश की पहचान और अस्तित्व के लिए भी संकट के बादल छा जाएंगे। इस स्थिति को रोकने के लिए हिंदू युवाओं को आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि देरी से विवाह और उज्जवल भविष्य की भ्रामक अवधारणाओं के मकड़ जाल के कारण भी हिंदू दंपतियों के बच्चे कम हो रहे हैं। विहिप ने आह्वान किया कि 25 वर्ष तक की उम्र में विवाह करना आज की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि कई वैज्ञानिक अध्ययनों ने यह सिद्ध किया है कि यदि बच्चों का संपूर्ण विकास करना है तो प्रत्येक परिवार में दो या तीन बच्चे आवश्यक होने चाहिए।
परांडे ने बताया कि प्रयागराज में हुई विहिप की बैठक में इसे लेकर प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। प्रस्ताव में कहा गया है कि आज हिंदू संस्कारों के अभाव में परिवार संस्था पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं पश्चिमी भौतिकवाद का बढ़ता प्रभाव, अर्बन नक्सल षड्यंत्र व ग्लोबल कॉरपोरेट समूह मनोरंजन माध्यम व विज्ञापनों के द्वारा युवाओं को भ्रमित व संस्कार विहीन बना रहा है। इसी कारण विवाहेत्तर संबंध और लिव इन संबंध भी बढ़ रहे हैं। विहिप ने युवाओं को अपनी जड़ों की ओर लौटने का आह्वान किया जिससे सुखी पारिवारिक जीवन सुनिश्चित किया जा सके और बच्चों तथा बुजुर्गों को सामाजिक व भावनात्मक सुरक्षा भी दी जा सके।
मंदिरों के सरकारी नियंत्रण से मुक्ति का अभियान
परांडे ने बताया कि प्रयागराज में हुई बैठक में मंदिरों की सरकारी नियंत्रण से मुक्ति अभियान चलाने का प्रस्ताव पारित किया गया। इसके तहत प्रथम चरण में विहिप के कार्यकर्ता अन्य हिंदू संगठनों के साथ मिलकर प्रत्येक राज्य के मुख्यमंत्री को ज्ञापन दे कर मांग करेंगे कि सरकारें हिंदू मंदिरों को वापस हिंदू समाज को सौंपे। प्रत्येक राज्यों मे आगामी विधानसभा सत्र के दौरान हमारे कार्यकर्ता विधानसभा और विधान परिषद के सदस्यों से मिलकर मंदिरों की मुक्ति हेतु आग्रह करेंगे एवं विहिप प्रतिनिधि जब मुख्य मंत्रियों को मिलने जाएंगे तो वह अपने साथ उस राज्य के लिए इस संबंध में प्रस्तावित कानून का एक प्रारूप भी उनको सौंपेंगे।