डाइट प्राचार्य ने पकड़ा हेडमास्टरों का झूठ
सतना। प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा सुधार की दिशा में राज्य स्तर पर होने वाले प्रयोगों का सिलसिला जारी है। मिडलाइन टेस्ट के आधार पर चिन्हित की गर्इं स्कूलों को अब गोल्ड और सिल्वर जैसे पदक दिए जा रहे हैं। हर स्तर के लिए रिजल्ट के अलग-अलग मानक तय किए गए हैं। जिले में करीब 55 स्कूलों को गोल्ड एवं सिल्वर कैटेगरी में रखा गया था। माना जा रहा था कि इन स्कूलों का रिजल्ट बेहतर है।
इस संबंध में स्कूलों के हेमास्टरों के द्वारा आनलाइन दक्षता फीड कराई गई थी। जिसमें जिले की करीब आठ स्कूलों को गोल्ड श्रेणी में रखा गया जहां पर रिजल्ट 90 फीसदी होने का दावा किया गया।इसके अलावा 47 स्कूलों के द्वारा 75 फीसदी रिजल्ट देने की जानकारी फीड कराई। इन स्कूलों की दक्षता वेरीफाई करने के लिए राज्य शिक्षा केन्द्र के द्वारा डाइट प्राचार्य को जिम्मेदारी दी गई। डाइट प्राचार्य ने जब स्कूली छात्रों की दक्षता जांची तो सभी दंग रहे गए। जिन आठ स्कूलों का रिजल्ट 90 फीसदी बताया गया उनकी दक्षता कमजोर पाई गई। डाइट के मानक में सिर्फ दो स्कूल ही गोल्ड श्रेणी में मिलीं जबकि 16 स्कूल ही सिल्वर श्रेणी में पाई गर्इं।
अब आरएसके की टीम आएगी
डाइट प्राचार्य के द्वारा किए गए सत्यापन के बाद अब राज्य शिक्षा केन्द्र की टीम दक्षता जांच करने के लिए पहुंचेगी। डाइट की जांच में 55 स्कूल में से मात्र 18 स्कूल ही दर्शाए गए मानक के आधार पर पाई गर्इं। आरएसके की टीम ही फाइनल श्रेणी का वितरण करेगी। माना जा रहा है कि टीम के दौरे के बाद उन हेडमास्टरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी जिनके द्वारा गलत जानकारी अपलोड की गई है। बताया जाता है कि यह मामला बीते सोमवार को हुई वीडियो कांफेंसिंग में भी उठा था। यह बताता है कि खुद को बेहतर दर्शाने के लिए अधिकारियों को गलत जानकारी दी जाती है जिससे राज्य स्तर पर जिले के अधिकारियों को किरकिरी का सामना करना पड़ता है।
कुछ स्कूलों ने अपना रिजल्ट 90 और 75 फीसदी फीड किया था। जब उनकी दक्षता को वेरीफाई किया गया तो जानकारी गलत निकली। इस संबंध में राज्य शिक्षा केन्द्र को जानकारी भेज दी गई है।
नीरव दीक्षित, प्राचार्य, डाइट सतना