कॉलेज ने नकल रोकने शौचालयोंं में लगा दिया ताला
सतना। गहरा नाला स्थित शासकीय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय ने नकल रोकने का अजीब सा फार्मूला निकाला है। इस फार्मूले के तहत नकल रुकी या नहीं यह तो कॉलेज ही बता सकता है लेकिन फार्मूला लागू करने के लिए अलग से जो व्यवस्था की गई उससे परिसर में गंदगी जरुर फैल रही है। आलम यह है कि विद्यार्थी और स्टाफ नाक भौं सिकोड़ रहे हैं लेकिन कॉलेज की इस व्यवस्था का विरोध नहीं कर पा रहे हैं।
महाविद्यालय में इन दिनों परीक्षाएं चल रही हैं। नकल रोकने के भरसक प्रयास किए गए हैं। खास यह है कि कॉलेज प्रबंधन ने नकल रोकने शौचालयों में ताला लगवा दिया है। इस फार्मूले के बाद प्रबंधन ने परीक्षार्थियों के लिए टेम्परेरी टॉयलेट बना दिए हैं। बताया गया है कि परिसर में लकड़ी के सहारे बोरियां बांधकर टेम्परेरी टॉयलेट बनवाए गए हैं।
खुले परिसर में बने इन टॉयलेटों से गंदगी फैल रही है। इस बात को लेकर परीक्षार्थी आपत्ति कर रहे थे लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। जिसके चलते परिसर में बदबू फैली है। सवाल ये है कि क्या हायर एजुकेशन के विद्यार्थी स्कूली बच्चों जैसी हरकतें करते हैं? क्या कॉलेज में पढ़ाई नहीं हो पा रही है कि विद्यार्थी नकल करते हैं? क्या जानबूझकर प्रबंधन ने टॉयलेट में ताला लगा दिया है? या फिर विद्यार्थी या स्टाफ पर भरोसा नहीं है? विद्यार्थियों ने कहा कि शौचालयों में ताला लगा दिया। इस फार्मूले से सबसे ज्यादा दिक्कत छात्राओं को हो रही है। प्रबंधन से बात करने के लिए कई प्रयास किए गए लेकिन संपर्क नहीं हो सका। प्रभारी प्राचार्य डॉ नीरजा खरे भोपाल बैठक में हैं।
कुछ टॉयलेट उपयोग लायक नहीं
एक तरफ जहां शौचालयों में ताला लगाया गया है वहीं दूसरी तरफ उपयोग के लायक नहीं हैं। दो साल पहले लाखों रुपए की लागत से शौचालय बनाए गए थे। पर वो अब उपयोग लायक नहीं हैं। फ्लश टैंक सहित अन्य वस्तुएं टूटी पड़ी हैं। रख-रखाव सही ढंग से नहीं किया गया है। स्वशासी कॉलेज स्वच्छता को लेकर संजीदा नहीं है। कई ऐसे शौचालय भी हैं जो बाडेÞ के अंदर कैद हैं। वर्ष 2017 में सांसद निधि से पुस्तकालय भवन में बालिकाओं के लिए शौचालय बनाया गया था। इस शौचालय को तब से कंटीली झाड़ियों से बंद कर दिया गया है।
महाविद्यालय में स्थिति दयनीय है। सेमेस्टर परीक्षा हो रही हैं। टॉयलेट बिल्कुल बायोटेक विभाग के गेट पर है। जो टॉयलेट बने है उनमें ताला जड़ दिया गया है ताकि छात्र नकल न कर सके। महाविद्यालय की स्थिति पर बड़ा तरस और गुस्सा भी आता है। जिम्मेदारी से बचने के लिए छात्रों के साथ क्यों खिलवाड़ किया जा रहा है। छात्र तो इधर उधर हो जाते है,पर छात्राएं क्या करें।
गौरव सिंह परिहार, संभागीय समन्वयक एनएसयूआई
टॉयलेट की समस्या नई नहीं है। हर बार मुद्दा उठाया जाता है। दुरुस्त करने आश्वासन दे दिया जाता है। कोई इस विषय पर गंभीर नहीं है कि महाविद्यालय कि 8 शौचालय होते हुए बोरी का क्यों बनाना पड़ रहा है वह भी किसी विभाग के गेट में।
निर्भय गौतम, छात्र स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय