अनुबंध की शर्तों में है काटे गए पेड़ों से 10 गुना पेड़ लगाना, कहां लगाएगी श्रीजी
सतना | बेशक विकास के लिए सड़कों का निर्माण जरूरी है, लेकिन पर्यावरण को ताक पर रखकर किया जाने वाला विकास कितना उचित है? यह सवाल एक बार पुन: सतना-नागौद सड़क मार्ग को विकसित करने हेतु किए गए दरख्तों के कत्ल से उठे हैं। दरअसल बुधवार को एनएच-39 (पुराना नाम एनएच-75) के सतना-नागौद सड़क मार्ग स्थित ग्राम पंचायत बाबूपुर के ग्राम देवरा व सरिसताल में वर्षों पुराने हरे-भरे पेड़ों को बेदर्दीपूर्वक काट डाला गया। श्रीजी इंफ्रास्ट्रक्चर इंडिया लिमिटेड प्राइवेट कंपनी द्वारा देवरा की आराजी नं.158 के 20 पेड़ व सरिसताल में 10 पेड़ काटे गए। इलेक्ट्रिक आरी जब इन दरख्तों पर चली तो वर्र्षों से राहगीरों को छाया और फल दे रहे बड़े-बड़े दरख्त जमीन पर आ गए।
विंध्य में पहले भी कट चुके हजारों पेड़, तैयार 10 फीसदी भी नहीं
सड़क निर्माण के लिए इसके पूर्व भी सतना जिला समेत समूचे संभाग में हजारों पेड़ काटे जा चुके हैं। हर मर्तबा प्रशासन से निर्माण ठेकेदार अनुबंध करते हैं और निर्माण पूरा होने के बाद पेड़ लगाने के अनुबंध को धता बताकर चले जाते हैं। उदाहरण के लिए विंध्य से गुजरने वाले राष्अÑरय राजमार्गों में बनाई जा रही फोरलेन सड़क के किनारे सौ से दो सौ वर्ष पुराने फलदार विभिन्न प्रजाति के पेड़ एवं इमारती वृक्ष लगे हुए थे और उसे सड़क निर्माण कार्य करने वाले कंपनियों के द्वारा कटाई करके पूरे मार्ग को पेड़ विहीन कर दिया गया था, लेकिन बदले में एक भी पेड़ कंपनी के द्वारा नहीं लगाए गए।
इसी तरह वर्ष 2012-13 में रीवा से हनुमना के बीच 3 हजार 582 पेड़ तथा मनगवां से चाकघाट के बीच 2 हजार पेड़ काटे गए हैं। पेड़ तो काटे गए, लेकिन उसके बदले में उक्त कंपनी के द्वारा नए पेड़ नहीं लगाए गए हैं। सड़क निर्माण कार्य का ठेका होने के दौरान पेड़ कटाई के एवज में 60 हजार नए पौधे सड़क के दोनों किनारों पर लगाया जाना था और 5 वर्षो तक उक्त पेड़ों की देखभाल करने सहित ट्रीगार्ड व तार फेनसिंग करके उक्त पेड़ों को सुरक्षित करने का अनुबंध तय किया गया था।
बावजूद इसके सड़क निर्माण कंपनी ने अनुबंध के तहत काम पूरा नहीं किया और सड़कें पौधे विहीन है। बाद में जरंच में गर्दन फंसती देख आनन फानन नर्सरी से लाकर पेड़ लगाए गए लेकिन देखरेख के अभाव मे 90 फीसदी पेड़ सूख गए । सवाल यह है कि क्या थी्रजी इफ्रास्ट्रक्चर कंपनी काटे गएदरख्तों के एवज में अनुबंधानुसार पौधे रोपकर उनके पेड़ बनने तक देखभाल करेगी अथवा अपना भुगतान लेकर सतना के पर्यावरण से खिलवाड़ करेगी?
क्या है मामला
दरअसल NH 75 के दोनो तरफ ग्राम देवरा व सरिसताल के अंतर्गत विभिन्न प्रजातियों के कुल 31 वृक्ष स्थित हैं। इन वृक्षों में 3 नीम, 12 कहुआ, 1 गुलमोहर, 4 बरगद,3 शीशम, 4 आम, 3 जामुन व 1 वृक्ष बबूल का है। राष्ट्रीय राजमार्ग 75 के सुदृढ़ीकरण एवं उन्नयन के नाम पर इन वृक्षों को काटने की अनुमति प्रशासन द्वारा दी गई है। वृक्षों को श्रीजी इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा काट तो दिया गया है लेकिन सवाल यह है कि क्या श्रीजी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी अनुबंध के अनुसार 10 गुना पेड़ लगाकर उनकी 5 साल तक देखभाल करेगी अथवा इस मामले में वह भी पूर्ववर्ती निर्माण कंपनियों की तरह नियमों को ठेंगा दिखाकर आगे बढ़ जाएगी?
विसंगतिपूर्ण नियम
वृक्षों को काटने के लिए किए जाने वाले अनुबंध को जानकार विसंगतिपूर्ण मानते हैं। अनुबंध के अनुसार पौधे सड़क का निर्माण पूरा करने के बाद ही रोपने हैं जबकि जानकारों का कहना है कि वृक्षों की कटाई के साथ ही पौधे रोपने के निर्देश ठेकेदार को होना चाहिए क्योंकि भुगतान पाने के बाद ठेकेदार सड़क व उससे जुड़े किसी मसले की ओर झांकता तक नहीं।
कागजी है ग्रीन सतना अभियान
विकास कार्य के नाम पर हरे पेड़ों की बेतहाशा कटाई जिले के अंदर हो रही है और हालात यही रहे तो आने वाले समय में यह जिला हरे पेड़ तथा फलदार वृक्ष के बिना जिला हो जाएगा। बताया गया है कि जहां सड़क निर्माण के चलते हजारों लाखों पेड़ काट दिए गए वहीं नहर निर्माण में 40 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि अधिग्रहित की गई थी और इस दौरान उक्त भूमि में लगे हुए हजारों पेड़ काटे गए हैं।
सालों से पेड़ छाया और फल दे रहे थे। सड़क के लिए इन्हें काट दिया गया। प्रशासन को यह तय करना चाहिए इन पेड़ों की भरपाई ठेकेदार कैसे करेगा? कब इनके एवज में पेड़ लगाएगा और कहां पर लगाएगा।
दुर्गाप्रसाद, ग्रामीण ग्राम पंचायत बाबूपुर
काटे गए पेड़ों के बदले नए पेड़ अविलंब लगाए जाने चाहिए और ठेकेदार को नए पेड़ों को तैयार करने का जिम्मा दिया जाना चाहिए। प्रशासन पेड़ तो कटवा देता है लेकिन नए पेड़ तैयार नहीं कराता जिससे हरे-भरे पेड़ों की संख्या घट रही है।
लक्ष्मण मल्लाह