अंधेरगर्दी: कोई ट्रांसफर के बाद तो कोई रिटायरमेंट के बाद भी कर रहा नौकरी
सतना। नगर पंचायत चित्रकूट में इन दिनों अंधेरगर्दी मची हुई है। यहां जिस प्रकार से कर्मचारियों क ी तैनाती की गई है वह चौकाने वाली है। यहां कर्मचारी सेवानिवृत्ति के बाद भी जहां कार्यरत हैं, वहीं एक कर्मचारी तो एक साल पूर्व किए गए तबादला आदेश को ताक पर रखकर नौकरी कर रहा है। दिलचस्प बात यह है कि नगर पंचायत चित्रकूट में कई सीएमओ आए और गए लेकिन इन कर्मचारियों का न तो जलवा कम हुआ और न ही नियमों के विपरीत काम कर रहे इन कर्मचारियों को कोई हटाने की जुर्रत ही कर सका।
धीरेंद्र के मामले में नगर पंचायत प्रशासन मजबूर क्यों
नगर पंचायत चित्रकूट कार्यालय में कुछ कर्मचारियों की तैनाती सवालों के घेरे में है। यहां दो ऐसे कर्मचारी कार्यरत हैं जिन्हें नियमों के तहत यहां काम पर नहीं होना चाहिए था। इनमें से एक कर्मचारी धीरेंद्र मिश्रा हैं जिनका मार्च 2016 में रिटायरमेंट हो चुका है, जबकि दूसरे कर्मचारी शैलेंद्र सिंह हैं जिनका स्थानांतरण मार्च 2020 में हो चुका है। ये दोनो कर्मचारी अफसरों की मेहरबानी से अभी भी नगर पंचायत में काम कर रहे हैं। बताया जाता है कि धीरेंद्र मिश्रा की नियुक्ति प्राधिकर में स्टेनो के पद पर हुई थी। बाद में नगर पंचायत का गठन हुआ तो धीरेंद्र मिश्रा नगर पंचायत में कार्यरत हो गए। वर्ष 2016 में उनका रिटायरमेंट हो गया।
अफसरों की कृपा से उन्हें एक्सटेंशन मिला और नगर पंचायत में उनकी सेवा जारी रही। इस मामले में जानकार सरकारी निर्देशों का हवाला देते हुए बताते हैं कि विशेष परिस्थितियों में ही कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद एक्सटेंशन दिए जाने का प्रावधान है अन्यथा समान्य तौर पर आवश्यकता पड़ने पर संविदा कर्मचारी की तैनाती का प्रावधान है। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर धीरेंद्र मिश्रा के पास ऐसा कौन सा स्पेसलाइजेशन है जिसके चलते नगर पंचायत के पास उनकी तैनाती का कोई विकल्प नहीं है?
विभागीय सूत्रों की मानें तो नगर पंचायत उन्हें प्रति माह 18 हजार रूपए का भुगतान उनकी सेवाओं के लिए करता है जबकि संविदा कर्मचारी 6 से 8 हजार में रखा जा सकता था। जाहिर है कि नगर पंचायत को आर्थिक चोट भी लग रही है। जानकारों की मानें तो धीरेंद्र मिश्रा को किए जा रहे भुगतान व उनकी नियुक्ति में भी सरकार द्वारा निर्धारित मापदंडों की अवहेलना की गई है।
स्थानांतरण आदेश को रद्दी की टोकरी में फेंका
नगर पंचायत चित्रकूट में सहायक वर्ग -3 के पद पर पदस्थ शैलेंद्र सिंह को मार्च 2020 में संचालनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास भोपाल के पत्र क्रमांक /स्था/ 26/755/ 2020 / एक/ 18624/ के जरिए किया गया था लेकिन शैलेंद्र सिंह अभी भी नगर पंचायत में ही डेरा जमाए हुए हैं। इस मामले को संजीदगी से लेते हुए 27 नवंबर 2020 को नगरीय प्रशासन एवं विकास के संभागीय आयुक्त संचालक रीवा ने पत्र क्रमांक/सं.सं./ भारमुक्त/2020/1844 ने नगर पंचायत के सीएमओ को पत्र लिखकर यह स्पष्टीकरण भी मांगा था कि मार्च में जिस कर्मचारी का स्थानांतरण मार्च 2020 में किया गया है, उसे अब तक भारमुक्त क्यों नहीं किया गया है? 27 नवंबर को संभागीय आयुक्त द्वारा इस आशय के दिए गए निर्देश के बाद भी शैलेंद्र सिंह को नगर पंचायत चित्रकूट से भारमुक्त नहीं किया गया है।
निश्चित तौर पर यह गंभीर बात है। इस संबंध में सीएमओ से जानकारी तलब कर कार्रवाई सुनिश्चित कराई जाएगी। जहां तक धीरेंद्र मिश्रा का सवाल है तो उस संबंध में मुझे कोई जानकारी नहीं है। जानकारी लेकर ही कुछ कहा जा सकेगा।
एसके सिंह, संभागीय आयुक्त संचालक, नगरीय प्रशासन एवं विकास रीवा
देखिए अभी धीरेंद्र मिश्र की उम्र 64 साल है। जहां तक उनके एक्सटेंशन की बात है तो वे मेरे आने से पहले से कार्यरत हैं। इस संबंध में दस्तावेजों को देखकर ही कुछ कह सकूंगा। जहां तक सवाल ट्रासंफर के बाद भी कर्मचारी के काम का है तो उन्हें पूर्व के अधिकारियों ने रिलीव क्यों नहीं किया जानकारी लेकर ही बता सकता हूं।
कृष्णपाल सिंह , सीएमओ चित्रकूट