सरकार फिर ले रही पांच हजार करोड़ का कर्ज
जानकारी के मुताबिक प्रदेश सरकार की 20 साल के लिए 25 सौ करोड़ और 14 साल के लिए 25 सौ करोड़ लेने की तैयारी है। पिछले 11 महीने में सरकार 40 हजार 500 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है है। मध्यप्रदेश की जनता पर 3 लाख 90 हजार करोड़ का कर्ज का बोझ हो चुका है। राज्य सरकार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के माध्यम से यह कर्ज उठाएगी। इसके लिए सरकारी बांड या स्टॉक को गिरवी रखकर धनराशि जुटाई जाएगी। ई-ऑक्शन प्रक्रिया पूरी होने के बाद 27 नवंबर को यह रकम राज्य सरकार के खजाने में आ जाएगी। सरकार के वित्तीय रिकॉर्ड पर नजर डालें तो यह इस साल का नया बड़ा कर्ज होगा। पिछले 11 महीनों में, राज्य सरकार ने 40,500 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। यह धनराशि राज्य की विकास योजनाओं और अन्य खर्चों के लिए इस्तेमाल की गई है।
कर्ज लेकर पैसों का किया जा रहा बंदरबांट
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार करने के लिए प्रदेश सरकार कर्ज ले रही है। पटवारी ने कहा कि सरकार अगर विकास करती तो किसानों को उनका अब तक हक मिल जाता। 6 हजार रुपए किसानों को सोयाबीन के आज तक नहीं मिले हैं। उन्होंने कहा कि संविदा कर्मचारियों, अतिथि शिक्षकों को लेकर भी अब तक कोई फैसला नहीं लिया गया है। पटवारी ने कहा कि सिर्फ कर्ज लेकर पैसों का बंदरबांट किया जाता है।
कांग्रेस ने कर्ज लेकर वेतन-भत्ते बांटे हम कर रहे विकास
उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि सरकार नियमानुसार कर्ज लेती है, और चुकाती भी है। उन्होंने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि कर्जा लेकर हमने विकास का काम किया है। लेकिन कांग्रेस ने कर्ज लेकर विकास की जगह सिर्फ घी पीने का ही काम किया है। कांग्रेस ने कर्ज का उपयोग वेतन भत्तों में किया, लेकिन प्रदेश की सरकार ने कर्ज का उपयोग विकास के काम पर किया है।