फुटपाथ पर बेघरों का डेरा, खाली पड़े हैं रैन बसेरा
रीवा | सर्दी का सितम दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। ऐसे में जब भी रात को कंबल के अंदर घुसकर आराम पाते हैं, तब सड़क पर रहने वाले भिक्षुक और बेघर लोग ठिठुरते रहते हैं। इन गरीबों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। यहां तक कि जिला प्रशासन जिस पर इन सबका ध्यान रखने का दारोमदार है, वह भी इन्हें जैसे भूल गया हो। सार्इं मंदिर, पीली कोठी, रानीतालाब, चिरहुला मंदिर में पन्नी ताने बूढ़ी दाइयां और बाबा किसी मदद के हाथ का ख्याली पुलाव पकाते हैं और कचरे से ही अलाव जलाते हैं।
नगर प्रशासन व जिला प्रशासन ने बीते कुछ वर्षों से फुटपाथ में रहने वाले लोगों को अलाव के लिए लकड़ी मुहैया कराना तक बंद कर दिया है। ठण्ड में कंपकंपाते भिक्षुकों को रैन बसेरे तक पहुंचाने वाले समाजसेवी गायब हो गए हैं। हालात यह हैं कि रैन बसेरा खाली हैं और फुटपाथ में भिक्षुकों ने अपना आशियाना ताना हुआ है। ज्ञात हो कि पिछले साल सर्दी के सितम से कई भिक्षुक मर गए थे। सोचने वाली बात यह है कि अस्पताल चौराहे के पास दो-दो रैन बसेरे होने के बावजूद भी उनका इस्तेमाल उनके लिए नहीं हो पा रहा है जिनके लिए वह बनाए गए हैं।
नगर में अस्पताल चौराहे के पास 30-15 बेड के दो रैन बसेरा हैं। जिनका इस्तेमाल कोई भी कर सकता है वह भी नि:शुल्क। गौरतलब है कि रैन बसेरों को स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य यही है कि किसी भी जरूरतमंद को रात खुले आसमान के नीचे न बितानी पड़े। मगर नगर के सैकड़ों भिक्षुक का आशियाना फुटपाथ ही है। जिन्हें रैन बसेरे में सोने से यह भय सताता है कि अगले दिन कहीं उनकी जगह कोई और न हथिया ले।
गौरतलब है कि पारा रात के वक्त 13-14 डिग्री के नीचे गिर जाता है। मगर अब तक निगम द्वारा गरीब लोगों और राहगीरों के लिए जलाऊ लकड़ी की व्यवस्था नहीं की गई है। जिसके कारण कुछ लोगों ने डस्टबिन में ही आग लगाकर गर्मी लेना शुरू कर दिया है जिससे निगम का ही नुकसान हो रहा है। कड़कड़ाती ठण्ड में भी सार्इं मंदिर एवं अन्य परिसरों में रहने वाले भिक्षुकों में से ज्यादातर रैन बसेरे की तरफ रुख नहीं कर रहे हैं और न ही निगम के अधिकारी और रैन बसेरे के कर्मचारी भिक्षुकों को यहां आने के लिए प्रेरित कर पा रहे हैं।
खुले आसमान से बेहतर है आश्रय स्थल
बता दें कि अस्पताल चौराहा समीप स्थित अटल आश्रय स्थल में महिला एवं पुरुष दोनों के लिए अलग-अलग सोने की व्यवस्था है, जहां साफ शौचालय और पानी भी उपलब्ध रहता है। खास बात यह है कि रैन बसेरा पूरी तरह से नि:शुल्क है। यहां रात गुजारने के लिए सिर्फ आईडी कार्ड दिखाना पड़ता है। अगर उक्त व्यक्ति के पास आईडी कार्ड नहीं है तो किसी परिचित के साथ आकर वह यहां आराम कर सकते हैं। मिली जानकारी के मुताबिक अटल कुंज में ठण्ड के मौसम के अनुकूल रजाई, गद्दे हैं साथ ही सोने के लिए 50 के आसपास बिस्तर हैं। मगर भिक्षुक और बेघर लोग यहां तक पहुंच ही नहीं पा रहे हैं।
आगामी सप्ताह रहेगा राहत भरा
मौसम विज्ञान विभाग के विशेषज्ञों की मानें तो आने वाला एक सप्ताह थोड़ा राहत भरा रहने की उम्मीद है। जिसके बाद कड़ाके की ठण्ड पड़ने की आशंका है। गौरतलब है कि पिछले एक हफ्ते तापमान 11 से 12 डिग्री तक लुढ़क गया था और वर्तमान की बात करें तो न्यूनतम पारा 14 से 15 डिग्री पर आ टिका। जबकि अधिकतम तापमान 28 से 29 डिग्री पहुंच रहा है। परंतु आने वाले कुछ दिनों में संभवत: शनिवार से ठण्ड में गिरावट देखने को मिलेगी और अगले शनिवार तक दिन में गर्मी का एहसास होगा और तापमान अधिकतम 30 और न्यूनतम 17 डिग्री तक जा सकता है।