रोजगार मेला, बीटीआई में बेरोजगारों का रेला

सतना | यह तो सबने देखा कि कई दिनों से शहर के चौराहे व बिजली के खंभे सजे है और उनमें बड़े -बडें बैनर पोस्टर लगे हैं। बेरोजगारों की जब नजरे इनायत हुर्इं तो लगा बस यही एक मौका है। दर-दर की ठोकरे वाले दिन गए और 18 जनवरी को अच्छे दिन आएंगे। जिले के शिक्षित बेरोजगारों को उम्मीदें रहीं कि नौकरी पक्की है आखिर वो डिग्री होल्डर हैं। पैरो तले तो जमीन तब खिसक गई जब बीटीआई के रोजगार मेंले में बेरोजगारों का रेला दिखा। हालात ये कि जॉब तो दूर निजी कंपनियों में आवेदन करने एक फार्म लेने लंबी कतार में ही युवा आजिज आ गए। 

आवेदन में ही जद्दोजहद ऐसी कि नौकरी की आस पसीने मे बह गई और बेरोजगारी लिए डिग्री धारी बेरोजगार जहां से आए वहीं लौट गए। एक बार फिर मिली तो ठोकर और मायूसी। बहरहाल ये तो आखन देखी हो गई। अब सतना सांसद का दावा है कि 18 जनवरी का जॉब फेयर बेरोजगारों के लिए गेम चेंजर साबित हुआ। हालांकि बीटीआई के नजारे इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं। बहरहाल मौके पर आफर लेटर देने के भी दावे आयोजकों द्वारा किए जा रहे हैं।

621 को मौके पर जॉब लेटर
शनिवार को बीटीआई में आयोजित रोजगार मेले को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि मौके पर ही 621 बेरोजगारों को नौकरी ज्वाइन करने लेटर दिया गया है। जबकि दूसरा बड़ा दावा ये कि इस मेले में 3 हजार 261 बेरोजगारों को नौकरी दी जाएगी और कंपनियों ने उनको सलेक्ट कर लिया है। जबकि यहां कुल 5 हजार 788 बेरोजगारों ने नौकरी के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था। बताया जा रहा कि नेशनल स्किल डेवलपमेंट कारपोरेशन द्बारा जॉब फेयर आयोजित किया था। इसके पहले सांसद गणेश सिंह ने युवाओं का हौश्ला बढााया और बाद में स्टॉलों में जाकर आवेदकों से बात-चीत भी की। सांसद ने कहा कि कौशल विकास में प्लेसमेंट का स्ट्राइक रेट 8० फीसदी से ज्यादा है।

जताया आक्रोश, बोल गए टाइम पास है
यूं तो रोजगार मेंले में ताम-झाम की कोई कमी नहीं थी। मंच से सियासत तो नीचे दिव्यांगों के लिए अलग और महिला पुरुषों के लिए अलक काउंटर के इंतजाम किए गए थे। बेराजगारों की तादात इतनी की भीड़ में न तो फार्म मिल रहा था न कोई जानकारी। इसके बाद जो कं पनियां आई थी उसमें वैसा रोजगार नहीं था जैसा कि शिक्षित बेरोजगारों को उम्मीदें थी। अब कुछ युवाओं ने तो आक्रोश जताया तो कई बोल गए सब टाइम पास है। हालांकि बेरोजगारी व ग्राउंड की भीड़ के हालात बयां कर रहे थे कि दो पैसे की नौकरी के लिए सब मोहताज हैं। अब यदि इस जॉब फेयर के दावों में दम है तो फिर रोजगार मेला सफल रहा पर जमीनी हकीकत के बारे में जितने मुह उतनी बांते हैं।