किसानों को नहीं मिला मुआवजा तो टावर को बनाया ठिकाना

सतना | इसे पावर ग्रिड प्रबंधन की  हिटलरशाही कहें अथवा स्थानीय अधिकारियों की उदासीनता कि तकरीबन 10 साल से अपना खेत गंवाकर मुआवजे की मांग कर रहे किसानों की फरियाद को कोई सुनने के लिए तैयार नहीं है। आए दिन किसानों को अपना ही हक पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। कभी किसान धरना प्रदर्शन करते हैं तो कभी सैकड़ो फुट ऊंचे टावर पर चढ़कर अपना विरोध प्रदर्शन करते हैं लेकिन उनकी फरियाद रद्दी की टोकरी में डाली जा रही है।

ये किसान उचेहरा विकासखंड अंतर्गत आने वाले पिथौराबाद के हैं जिनका आरोप है कि उनके खेतों में खंभे गाड़कर हैवी लाइन डाल दी गई है, जिससे वे खेतों का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं । विडंबना यह है कि अब तक उन्हें मुआवजा भी नहीं दिया जा सका है। बीते दिनों बालेंद्र पांडेय नामक  किसान ने टावर पर चढ़कर विरोध जताया था । उसका मामला प्रशासन सुलझा भी नहीं पाया था कि गुरूवार को मुआवजा न मिलने से नाराज एक और किसान भागीरथी उर्फ विद्याधर द्विवेदी टावर पर चढ़ गया। 

क्या है मामला 
जिले  के उचेहरा विकासखण्ड क्षेत्र के पिथौराबाद गांव में खेत में लगे बिजली के टावर का 13 वर्ष से ज्यादा का समय बीतने के बाद भी मुआवजा न मिलने से क्षुब्ध किसान गुरूवार को  हाईटेंशन बिजली के टावर पर चढ़ गए  । पहले भागीरथप टावर पर चढ़ा फिर देखते ही देखते राजेंद्र तिवारी, कमलनाथ उर्मलिया, जितेंद्र कुशवाहा , रामकृपाल कुशवाहा आदि टावर पर चढ़ गए। टावर पर चढ़ने की खबर से  क्षेत्र में हंगामा मच गया और वहां तमाशबीनों की भीड़ जमा हो गई।

टावर पर चढ़े किसानों ने आरोप लगाया कि  कि कंपनी ने उसके खेत पर टावर तो लगा दिया पर उसका मुआवजा अभी तक नही मिला है और लॉकडाउन के चलते उसके और परिवार के भूखों मरने की नौबत आ गई है। इस दौरान किसानों  ने कई बार पावर ग्रिड के अफसरों से लेकर कलेक्टर कार्यालय तक में  गुहार लगाई, लेकिन उसकी फरियाद प्रशासनिक गलियारों में नक्कारखाने में तूती की आवाज साबित हुई है। 

प्रदर्शन नेता रुकवा देते हैं, लेकिन मुआवजा नहीं दिलाते
किसानों और पावर ग्रिड के बीच टावर और ट्रांसमिशन लाइन को लेकर विवाद पिछले कई वर्षों से चल रहा है।  बालेन्द्र के अलावा भी ऐसे कई किसान हैं जिन्हें अभी तक गाइडलाइन के अनुसार मुआवजे की राशि नहीं मिली है । टावर पर चढ़े किसानों का कहना है कि हम जब भी धरना प्रदर्शन करते हैं तो सांसद -विधायक आकर प्रदर्शन यह आश्वासन देकर रूकवा देते हैं कि जल्द ही मुआवजा मिलेगा लेकिन फिर हमारी तकलीफ की ओर कोई झाकने नहीं आता।  

इसी क्षेत्र में पोड़ी, पतौरा ,वीरपुर के कई किसानों के मुआवजे के कुछ मामले शिकायत के तौर पर लंबित भी पड़े हुए हैं। इसके पूर्व बिहटा और पतौरा के किसान भी विरोध करते हुए काम बन्द करवा चुके हैं। आशंका जताई जा रही है कि विरोध और नाराजगी का यह सिलसिला बढ़ सकता है।  किसानों ने सांसद और स्थानीय विधायक से आग्रह किया है कि वे दखल देकर उनका मुआवजा दिलवाएं ताकि वे कृषि कार्य कर अपने परिवार का पेट पाल सकें।