दिव्य विचार: कृत्रिमता से अशांति आएगी - मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज
मुनि श्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि कृत्रिमता, कुटिलता, जटिलता और कपट। आज की चार बातें। कृत्रिमता को तुम जितना ओढ़ोगे तुम्हारे जीवन की सहजता नष्ट होगी, सरलता नष्ट होगी, सत्य खत्म होगा और शांति विनष्ट होगी। कृत्रिमता जीवन की सहजता को, सरलता को, सत्य निष्ठा को और शांति को लील लेती है। आज आदमी इसी कृत्रिमता के चक्कर में मरा जा रहा है। भैया ! तुम स्टेटस की बात करते हो। आप कितने ही बड़े आदमी क्यों न हों, किसी के घर में चाहे जैसे घुस सकते हो क्या? नहीं घुस सकते और हम किसी के घर में जाएँ तो अहो भाग्य समझेंगे। समझोगे कि नहीं समझोगे? अगर मैं कहूँ कि ठीक है, आता हूँ चेहरे खिल जाएँगे। हमारे पास कुछ भी नहीं है फिर भी तुम स्वागत के लिए तैयार हो और कोई करोड़पति आदमी अननोन (अनजान) है, तुम्हारे यहाँ आना चाह रहा है तुम उसके लिए तैयार नहीं क्यों? स्टेटस किसका बड़ा? स्टेटस जो नीचे बैठा है उसका या जो ऊपर बैठा है उसका? वस्तुतः जीवन की सहजता ही जीवन की सच्ची प्रतिष्ठा है। कृत्रिमता जीवन को उलझाती है। मन में द्वन्द्व क्यों होता है? क्योंकि है कुछ और दिखाना कुछ पड़ता है; इसी का नाम तो माया है। हो कुछ और दिखाओ है जो जिंदगी का सफाया करती है। सारे गुणों को नष्ट कर डालती कुछ ये माया है। सन्त कहते हैं इस कृत्रिमता से बचो। आप सहज रहना सीखें, सरल बनें, सत्यनिष्ठ बनेंतो जरूर शांति पाओगे। जहां कृत्रिमता को आप ओढ़ोगे जीवन में अशांति आएगी, कुटिलता आएगी, जटिलता आएगी, कपट आएगा। समाज में कई ऐसे लोग होते हैं जो होते कुछ हैं और दिखाना कुछ चाहते हैं। यहां बैठा हर कोई रोज दर्पण में अपना चेहरा देखता है किसलिए कि मैं अच्छा दिखूं। मैं अच्छा दिखूं इसकी चिंता हर कोई करता है पर मैं अच्छा बनूँ ऐसा प्रयास कोई नहीं करता।