दिव्य विचार: सम्मान दोगे तो ही मिलेगा सम्मान- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

दिव्य विचार: सम्मान दोगे तो ही मिलेगा सम्मान- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनि श्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि जिसको सम्मान की चाह है वह बहुत बड़ा मानी है। मानी चार बातें की दो पहचान हैं- जो सम्मान की चाह करे वह मानी और जो थोड़ा भी अपमान बर्दाश्त न कर सके वह भी मानी। सम्मान की चाह रखने वाला मानी है। उनके मन में यह चाहत थी। अब वह चाहे कि यहाँ भी वैसा ही एक कार्यक्रम हो पर अपने मुँह से कैसे कहें? अपने एक साथी से कहा कि महाराज से कहो कि ऐसा कार्यक्रम यहाँ रखा जाए। मैं देखता था कि इस आदमी में क्या दुर्बलता है। इस कार्यक्रम की यहाँ आवश्यकता नहीं क्यों कि यह व्यक्ति उस लायक नहीं है इसलिए मैंने बात टाल दी। तीन चार दिन बाद पिच्छी परिवर्तन का कार्यक्रम था। वह आदमी चाहता था कि उस आयोजन में मेरा सम्मान हो। अब तो उसने खुद ही आकर बोल दिया। मान में आदमी को शर्म नहीं लगती। जिसको मान को चाह होती है वह अपना अपमान खुद करवा लेता है। और बोलते-बोलते बोल दिया महाराज लोग मुझे बहुत चाहते हैं। आप अभी हमको जानते नहीं हैं। मैंने कहा- अभी तक तो नहीं जानता था पर आज जान गया। आपको कार्यक्रम कराने की इच्छा है करा लीजिए पर मेरा सोचना तो ये था कि आप आयोजक हैं; आपको पहले औरों को श्रेय देना चाहिए, औरों का सम्मान कराना चाहिए और फिर उस दिन इतना समय नहीं रहेगा इसलिए फिर किसी दिन ऐसा आयोजन करके अपने सारे कार्यकर्ताओं का सम्मान करो, तुम सम्मान दो; सम्मान लो मत। बात जँची नहीं और उन्होंने येन-केन उपायेन अपना कार्यक्रम जुड़वा लिया। मैं भी न्यूट्रल (तटस्थ) हो गया। आप सुनकर ताजुब्ब करोगे दस हजार लोगों की उपस्थिति में उस व्यक्ति का सम्मान किया गया पर एक आदमी ने भी उस व्यक्ति के सम्मान में ताली नहीं बजाई। अब बताओ ये सम्मान था कि अपमान ? सम्मान करोगे सम्मानित होओगे।